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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2803
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- इण्डो-इस्लामिक वास्तुकला को परम्परा की दृष्टि से कितनी श्रेणियों में बाँटा जाता है?

उत्तर-

संरचनाओं के रूपाकार

इण्डो-इस्लामिक वास्तुकला की बुनियादी जानकारी के बाद इण्डो-इस्लामिक वास्तुकला की कहानी आगे बढ़ती है। भारत में मुस्लिम आगमन के समय यहाँ धार्मिक और धर्म-निरपेक्ष, दोनों प्रकार की वास्तुकला विद्यमान थी। उसमें मुस्लिम शासकों तथा सम्पन्न लोगों द्वारा अनेक प्रकार के छोटे-बड़े भवन जोड़े जाने लगे जैसे - रोजमर्रा की इबादत के लिए मस्ज़िदे और जामा मस्जिद, मकबरे, दरगाहें, मीनारे, हमाम, सुनियोजित बाग-बगीचे, मदरसे, सरायें या कारवाँ सरायें तथा मीनारें आदि।

विश्व के अन्य भागों की तरह, भारत में भी वास्तुकलात्मक भवन ऐसे लोगों द्वारा बनाए गए थे जिनके पास धन इकट्टा हो गया था। उतरते क्रम में देखें तो वे शासक और सामंत तथा उनके परिवार, सौदागर, व्यापारी और उनकी श्रेणियाँ, ग्रामीण संभ्रांत वर्म और किसी पंथ के अनुयायीगण थे। इण्डो-इस्लामिक वास्तुकला पर सीरियाई, फारसी और तुर्की प्रभाव तो स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होते हैं लेकिन भारतीय वास्तुकलात्मक तथा आलंकारिक शैलियों तथा विचारों ने भी इण्डो-इस्लामिक संरचना तथा निर्माण कार्यों को अत्यधिक प्रभावित किया। इसके अलावा सामग्रियों की उपलब्धता, संसाधनों तथा कौशलों की परिसीमा और संरक्षकों की सौन्दर्यनुभूति ने भी इस वास्तुकला पर पर्याप्त प्रभाव डाला। अन्य देशों की तरह मध्यकालीन भारत के लोगों के लिए धर्म और धार्मिकता बहुत महत्वपूर्ण थे, फिर भी उन्होंने दूसरों के वास्तुकलात्मक तत्वों को उदारतापूर्वक अपनाया।

शैलियों के प्रकार

इण्डो-इस्लामिक वास्तुकला को परम्परा की दृष्टि से कई श्रेणियों में बांटा जाता है जिनके नाम है— शाही शैली (दिल्ली सल्तनत ), प्रान्तीय शैली ( मांडु, गुजरात, बंगाल और जौनपुर), मुगल शैली (दिल्ली, आगरा और लाहौर) और दक्कनी शैली (बीजापुर, गोलकोंडा) ये श्रेणियाँ वास्तुकलात्मक कार्यों की विशिष्टताओं को ध्यान में रखते हुए बनाई गई हैं, इसलिए इन्हें अपरिवर्तनीय खांचों में बांधकर नहीं रखा जा सकता।

उदारतापूर्वक ग्रहण और प्रभाव

प्रान्तीय शैलियों में, बंगाल और जौनपुर की वास्तुकला को अलग माना जाता है। गुजरात की वास्तुकला का एक अलग क्षेत्रीय स्वरूप था, क्योंकि उसके संरक्षकों ने मकबरों, मस्जिदों और दरगाहों के लिए क्षेत्रीय मन्दिर परम्पराओं के कई तत्व अपना लिए थे, जैसे कि तोरण, मेहराबों में सरदल, लिंटन, घंटी और जंजीर के नमूनों का उत्कीर्णन और उत्कीर्णित फलक जिनमें वृक्ष उकेरे गये थे। इसके विपरीत, सरखेज के शेख अहमद खट्टू की पंद्रहवीं शताब्दी में सफेद संगमरमर से बनी दरगाह ने रूप और साज-सज्जा में मुगल मकबरों को बहुत प्रभावित किया।

अन्य सज्जात्मक रूप

इन रूपों में कटाव, उत्कीर्णन या गचकारी के जरिए प्लास्टर पर डिजाइन कला शामिल है। इन डिजाइनों को सादा छोड़ दिया जाता था या उनमें रंग भरे जाते थे। नमूने पत्थर पर पेंट किए जाते थे या पत्थर में उकेरे जाते थे। इन नमूनों में तरह-तरह के फूल शामिल थे। ये फूल उपमहाद्वीप में और बाहरी स्थानों पर खासतौर पर ईरान में लगते थे। चापों / मेहराबों के भीतरी मोड़ों में कमल की कली के नमूने बनाए जाते थे। दीवारों को भी सरू, चिनार और अन्य वृक्षों तथा फूलदानों से सजाया जाता था। भीतरी छत को सजाने के लिए फूलों के अनेक मिश्रित नमूनों को काम में लिया जाता था। इनकी डिज़ाइनें कपड़ों और गलीचों पर भी पाई जाती थीं। चौदहवीं, पंद्रहवीं और सोलहवीं शताब्दियों में, दीवारों और गुम्बदों की सतहों पर टाइलें भी लगाई जाती थीं। उस समय लोकप्रिय रंग नीला, फिरोजी, हरा, और पीला थे। उसके बाद सतही सजावट के लिए खासतौर पर दीवारों के हाशियों के लिए चारखाना या चौपड़ पच्चीकारी की तकनीक का इस्तेमाल किया जाने लगा। कभी- कभी भीतरी दीवारों और चंदोवों पर लाजवर्द मणि का भी प्रयोग किया जाता था। अन्य किस्म की सजावटों में अरबस्क यानी बेलबूटे के काम, सुलेखन और ऊँचे तथा नीचे उभारदार उत्कीर्णन शामिल थे। जालियों का प्रयोग भी बहुतायत से होता था। उच्च उभारदार उत्कीर्णन त्रि-आयामी जैसा दिखाई देता था। चापें, मेहराबें सादी और सिमटी हुई थीं और कभी-कभी ऊँची और तीखी भी होती थीं। सोलहवीं शताब्दी और उससे आगे चापें तिपुलिया या बहुत-से बेल-बूटों वाला बनाई जाने लगीं। चापों के स्कन्ध गोल आभूषणों या उभारवाली नक्काशी से सजे होते थे। व्योमरेखा केन्द्रीय गुम्बद एवं अन्य छोटे गुम्बदों, छत्रियों और छोटी-छोटी मीनारों का मिला-जुला दृश्य प्रस्तुत करती थीं। केन्द्रीय गुम्बद की चोटी पर एक उलटे कमल पुष्प का नमूना और एक धातु या पत्थर का कलश होता था।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- 'सिन्धु घाटी स्थापत्य' शीर्षक पर एक निबन्ध लिखिए।
  2. प्रश्न- मोहनजोदड़ो व हड़प्पा के कला नमूने विकसित कला के हैं। कैसे?
  3. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की खोज किसने की तथा वहाँ का स्वरूप कैसा था?
  4. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की मूर्ति शिल्प कला किस प्रकार की थी?
  5. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के अवशेष कहाँ-कहाँ प्राप्त हुए हैं?
  6. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता का पतन किस प्रकार हुआ?
  7. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के चरण कितने हैं?
  8. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता का नगर विन्यास तथा कृषि कार्य कैसा था?
  9. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की अर्थव्यवस्था तथा शिल्पकला कैसी थी?
  10. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की संस्थाओं और धार्मिक विचारों पर लेख लिखिए।
  11. प्रश्न- प्राचीन भारतीय वास्तुकला का परिचय दीजिए।
  12. प्रश्न- भारत की प्रागैतिहासिक कला पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  13. प्रश्न- प्रागैतिहासिक कला की प्रविधि एवं विशेषताएँ बताइए।
  14. प्रश्न- बाघ की गुफाओं के चित्रों का वर्णन एवं उनकी सराहना कीजिए।
  15. प्रश्न- 'बादामी गुफा के चित्रों' के सम्बन्ध में पूर्ण विवरण दीजिए।
  16. प्रश्न- प्रारम्भिक भारतीय रॉक कट गुफाएँ कहाँ मिली हैं?
  17. प्रश्न- दूसरी शताब्दी के बाद गुफाओं का निर्माण कार्य किस ओर अग्रसर हुआ?
  18. प्रश्न- बौद्ध काल की चित्रकला का परिचय दीजिए।
  19. प्रश्न- गुप्तकाल को कला का स्वर्ण काल क्यों कहा जाता है?
  20. प्रश्न- गुप्तकाल की मूर्तिकला पर एक लेख लिखिए।
  21. प्रश्न- गुप्तकालीन मूर्तिकला के विषय में आप क्या जानते हैं?
  22. प्रश्न- गुप्तकालीन मन्दिरों में की गई कारीगरी का वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- गुप्तकालीन बौद्ध मूर्तियाँ कैसी थीं?
  24. प्रश्न- गुप्तकाल का पारिवारिक जीवन कैसा था?
  25. प्रश्न- गुप्तकाल में स्त्रियों की स्थिति कैसी थी?
  26. प्रश्न- गुप्तकालीन मूर्तिकला में किन-किन धातुओं का प्रयोग किया गया था?
  27. प्रश्न- गुप्तकालीन मूर्तिकला के विकास पर प्रकाश डालिए।
  28. प्रश्न- गुप्तकालीन मूर्तिकला के केन्द्र कहाँ-कहाँ स्थित हैं?
  29. प्रश्न- भारतीय प्रमुख प्राचीन मन्दिर वास्तुकला पर एक निबन्ध लिखिए।
  30. प्रश्न- भारत की प्राचीन स्थापत्य कला में मन्दिरों का क्या स्थान है?
  31. प्रश्न- प्रारम्भिक हिन्दू मन्दिर कौन-से हैं?
  32. प्रश्न- भारतीय मन्दिर वास्तुकला की प्रमुख शैलियाँ कौन-सी हैं? तथा इसके सिद्धान्त कौन-से हैं?
  33. प्रश्न- हिन्दू मन्दिर की वास्तुकला कितने प्रकार की होती है?
  34. प्रश्न- जैन धर्म से सम्बन्धित मन्दिर कहाँ-कहाँ प्राप्त हुए हैं?
  35. प्रश्न- खजुराहो के मूर्ति शिल्प के विषय में आप क्या जानते हैं?
  36. प्रश्न- भारत में जैन मन्दिर कहाँ-कहाँ मिले हैं?
  37. प्रश्न- इंडो-इस्लामिक वास्तुकला कहाँ की देन हैं? वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- भारत में इस्लामी वास्तुकला के लोकप्रिय उदाहरण कौन से हैं?
  39. प्रश्न- इण्डो-इस्लामिक वास्तुकला की इमारतों का परिचय दीजिए।
  40. प्रश्न- इण्डो इस्लामिक वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूने के रूप में ताजमहल की कारीगरी का वर्णन दीजिए।
  41. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत द्वारा कौन सी शैली की विशेषताएँ पसंद की जाती थीं?
  42. प्रश्न- इंडो इस्लामिक वास्तुकला की विशेषताएँ बताइए।
  43. प्रश्न- भारत में इस्लामी वास्तुकला की विशेषताएँ बताइए।
  44. प्रश्न- इण्डो-इस्लामिक वास्तुकला में हमें किस-किसके उदाहरण देखने को मिलते हैं?
  45. प्रश्न- इण्डो-इस्लामिक वास्तुकला को परम्परा की दृष्टि से कितनी श्रेणियों में बाँटा जाता है?
  46. प्रश्न- इण्डो-इस्लामिक आर्किटेक्ट्स के पीछे का इतिहास क्या है?
  47. प्रश्न- इण्डो-इस्लामिक आर्किटेक्ट्स की विभिन्न विशेषताएँ क्या हैं?
  48. प्रश्न- भारत इस्लामी वास्तुकला के उदाहरण क्या हैं?
  49. प्रश्न- भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना कैसे हुई? तथा अपने काल में इन्होंने कला के क्षेत्र में क्या कार्य किए?
  50. प्रश्न- मुख्य मुगल स्मारक कौन से हैं?
  51. प्रश्न- मुगल वास्तुकला के अभिलक्षणिक अवयव कौन से हैं?
  52. प्रश्न- भारत में मुगल वास्तुकला को आकार देने वाली 10 इमारतें कौन सी हैं?
  53. प्रश्न- जहाँगीर की चित्रकला शैली की विशेषताएँ लिखिए।
  54. प्रश्न- शाहजहाँ कालीन चित्रकला मुगल शैली पर प्रकाश डालिए।
  55. प्रश्न- मुगल वास्तुकला की विशेषताएँ बताइए।
  56. प्रश्न- अकबर कालीन मुगल शैली की विशेषताएँ लिखिए।
  57. प्रश्न- मुगल वास्तुकला किसका मिश्रण है?
  58. प्रश्न- मुगल कौन थे?
  59. प्रश्न- मुगल वास्तुकला की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
  60. प्रश्न- भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना कैसे हुई? तथा अपने काल में इन्होंने कला के क्षेत्र में क्या कार्य किए?
  61. प्रश्न- राजस्थान की वास्तुकला का परिचय दीजिए।
  62. प्रश्न- राजस्थानी वास्तुकला पर निबन्ध लिखिए तथा उदाहरण भी दीजिए।
  63. प्रश्न- राजस्थान के पाँच शीर्ष वास्तुशिल्प कार्यों का परिचय दीजिए।
  64. प्रश्न- हवेली से क्या तात्पर्य है?
  65. प्रश्न- राजस्थानी शैली के कुछ उदाहरण दीजिए।

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